छोटे-छोटे प्रयासों से ही होते हैं बड़े परिवर्तन : राजेश कुमार

 छोटे-छोटे प्रयासों से ही होते हैं बड़े परिवर्तन : राजेश कुमार


जींद, 1 मार्च। विश्व संवाद केंद्र, हरियाणा के सचिव राजेश कुमार ने कहा कि परिवर्तन सूक्ष्म होते हैं और छोटे-छोटे प्रयासों से ही बड़े परिवर्तन होते हैं। सामाजिक व व्यवस्था परिवर्तन की जिम्मेदारी अब नागरिक पत्रकारों पर है इसलिए नागरिक पत्रकारों को चाहिए कि वह समाज के सामने अच्छे उदाहरण प्रस्तुत करें ताकि समाज में सकारात्मकता बढ़े। राजेश कुमार शनिवार को चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय में विश्व संवाद केंद्र, हरियाणा व विश्वविद्यालय के आउटरीच विभाग के संयुक्त तत्वधान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय नागरिक पत्रकारिता कार्यशाला को बतौर मुख्य वक्ता सम्बोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में विशेष अतिथि के तौर पर राष्ट्रीय स्वयंसवेक संघ हरियाणा के सह प्रचार प्रमुख विक्रांत, लक्ष्मी नारायण, सीआरएसयू सोशल आउट रिच के निर्देशक विजय कुमार भी विशेष तौर पर मौजूद रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलसचिव प्रो. लवलीन मोहन ने की।




राजेश कुमार ने कहा कि हम जो बनना चाहते हैं वह सभ्यता है और  हमारा जो मूल है वह संस्कृति है। भारतीय चिंतन मन का शुद्धिकरण है इसमें ­झूठ का कोई स्थान नहीं है। भारतीय संस्कृति में जीवन मूल्यों को महत्व दिया जाता है। उन्होंने राजा हरीशचंद्र का उदाहरण देते हुए कहा कि राजा हरीशचंद्र ने विश्वामित्र को उनकी सारी इच्छा पूर्ति का वचन सभा में अथवा किसी के सामने नहीं बल्कि सपने में दिया था और उन्होंने अपना वचन निभाने के लिए अपना सारा राजपाठ विश्वामित्र को समर्पित कर दिया। इस प्रकार भारत में राजपाठ विमर्श के आधार पर चलता था।साधु-संत संन्यासी परिवार्जकों के विचार-विमर्श करके चलता था । 



राजेश कुमार ने कहा कि पहले सदूर क्षेत्र तक समाचार पत्रों की पहुंच नहीं थी लेकिन आज सोशल मीडिया के इस दौर में घटना घटते ही जानकारी पूरे देश ही नहीं विश्व में में चली जाती है। आज भारत में लगभग 90 करोड़ लोग इंटरनेट का प्रयोग कर रहे हैं। इसमें 49 करोड़ लोग ग्रामीण क्षेत्र से हैं। भारत में 115 करोड़ लोग मोबाइल का प्रयोग करते हैं, जिनमें 47 प्रतिशत महिलाएं मोबाइल का प्रयोग करती हैं। इस प्रकार कोई भी घटना घटते ही थोड़े से समय में अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच जाती है। इसलिए आज सोशल मीडिया के इस दौर में नागरिक पत्रकारिता का महत्व तो बढ़ा है, वहीं नागरिक पत्रकारिता की जिम्मेदारी भी बढ़ी है। समाज के सामने किस प्रकार का कंटेंट जाना चाहिए यह सोशल मीडिया पर सक्रिय नागरिक की जिम्मेदारी है। 


राजेश कुमार ने कहा कि एफएनबीजी (फॉलस नरेटिव बिल्डिंग गैंग) की पद्धति को समझना पड़ेगा। ये लोग महिलाओं, युवाओं को टारगेट बनाकर हमारी सभ्यता व संस्कृति को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। इनके इस मिशन को रोकने के लिए हमें स्व का बोध करना होगा। हमें कुटुम्ब प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, समरस्ता, स्वदेश तथा नागरिक कर्त्तव्यों की पालना को सुनिश्चित करना होगा। स्वदेशी भारत की आत्मा है। परिवार नाम की संस्था केवल भारत के पास है लेकिन देश विरोधी ताकतें गलत नेरेटिव का प्रचार करके हमारी परिवारों की इस व्यवस्था को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए  हम सबका कर्त्तव्य बनता है कि हम अच्छे से अध्ययन करे और तथ्यों के साथ सही जानकारी लोगों तक पहुंचाए।


कुलसचिव प्रो. लवलीन मोहन ने कहा कि विश्वविद्यालय रिसर्च का केंद्र होते हैं और इस तरह की कार्यशाला के आयोजन से विद्यार्थियों को रिसर्च करने का माहौल मिलता है। उन्होंने कार्यशाला में मौजूद प्रतिभागियों से आह्वान किया कि कार्यशाला से हासिल किए गए ज्ञान को अन्य लोगों तक भी पहुंचाएं और समाज में सकारात्मक जानकारी का ही प्रचार करें। सोशल आउट रिच के निर्देशक विजय कुमार ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों के आयोजन से विद्यार्थियों को नई-नई जानकारी प्राप्त करने के साथ-साथ एक-दूसरे प्रदेश की संस्कृति से रुबरु होने का अवसर मिलता है। कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए विजय कुमार ने विश्व संवाद केंद्र का आभार व्यक्त किया।


सैंट्रल यूनिवर्सिटी महेंद्र गढ़ से सहायक कुलसचिव डॉ. जयपाल ने विषयवस्तु लेखन पर, निम्स विश्वविद्यालय जयपुर से जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग से अधिष्ठता डॉ. सारिका ताकर ने नागरिक पत्रकारिता में सोशल मीडिया की भूमिका एवं एआई का प्रयोग पर, डॉ. लक्ष्मी नारायण ने सूचनाओं के स्त्रोत और तथ्यों की जांच पर, डॉ. अलेखाएस ने वीडियो संपादन एवं ग्राफिक्स डिजाइनिंग तकनीक एवं प्रयोग पर प्रशिक्षण दिया। कार्यशाला में शनिवार को प्रथम स्तर में वरिष्ठ फोटोग्राफर डॉ. प्रदीप तिवारी ने प्रतिभागियों को फोटोग्राफी तकनीक एवं उपयोग की बारिकी से जानकारी दी। गुरुग्राम विश्वविद्यालय गुरुग्राम के अधिष्ठता एवं मीडिया अध्यन्न विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. राकेश योगी तथा सैंट्रल यूनिवर्सिटी के सहायक प्राध्यापक डॉ. विशाल पसरीचा ने सोशल मीडिया के प्रसार और प्रभाव के बारे में जानकारी दी।

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