हरियाणा सम्बद्ध महाविद्यालय (पेंशन एवं अंशदायी भविष्य निधि) नियम, 1999 जो 2001 में संशोधित हुए थे को पुनः संशोधित करने के उच्चतर शिक्षा विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई

 हरियाणा सम्बद्ध महाविद्यालय (पेंशन एवं अंशदायी भविष्य निधि) नियम, 1999 जो 2001 में संशोधित हुए थे को पुनः संशोधित करने के उच्चतर शिक्षा विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई


संशोधन में नियम 15 के उप-नियम 3(1) में खंड (एच) जोड़ा गया है, जिसमें अब कर्मचारी के "मानसिक विकार या विकलांगता से पीड़ित पुत्र एवं पुत्री या शारीरिक रूप से अपंग या विकलांग को भी लाभ के लिए शामिल किया है

                                            

चंडीगढ़। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में गुरुवार को मंत्रीमंडल की हुई बैठक में हरियाणा सम्बद्ध महाविद्यालय (पेंशन एवं अंशदायी भविष्य निधि) नियम, 1999 जो 2001 में संशोधित हुए थे उनमें पुनः संशोधित करने के उच्चतर शिक्षा विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई।


संशोधन के अनुसार कर्मचारियों के आश्रितों को सामाजिक सुरक्षा एवं अनुकंपा सहायता सुनिश्चित करना है। इस संशोधन में पारिवारिक पेंशन के उद्देश्य से "परिवार" की परिभाषा का विस्तारित किया गया है।


संशोधन में नियम 15 के उप-नियम 3(1) में खंड (एच) जोड़ा गया है, जिसमें अब "मानसिक विकार या विकलांगता से पीड़ित पुत्र एवं पुत्री या शारीरिक रूप से अपंग या विकलांग, चाहे उनकी आयु कुछ भी हो, बशर्ते कि वे कर्मचारी के जीवित रहते उस पर पूरी तरह से आश्रित रहे हों" को शामिल किया गया है।


इस समावेशन से सरकारी सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के कर्मचारियों के लिए नियम हरियाणा सरकार के कर्मचारियों के लिए लागू नियमों के समतुल्य हो गए हैं, जिससे पेंशन वितरण में समानता एवं निष्पक्षता सुनिश्चित हुई है।


मंत्रीमंडल के इस निर्णय से यह सुनिश्चित होगा कि हरियाणा में सरकारी सहायता प्राप्त निजी प्रबंधित महाविद्यालयों के कर्मचारियों के मानसिक या शारीरिक रूप से विकलांग बच्चों को अब आयु या तकनीकी परिभाषाओं के कारण पारिवारिक पेंशन प्राप्त करने से वंचित नहीं रखा जाएगा, जिससे अधिक समावेशी कल्याणकारी दृष्टिकोण को बढ़ावा मिलेगा।

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