अंबाला सेंट्रल जेल में दोबारा जेलब्रेक – हरियाणा मानव अधिकार आयोग ने लिया सख्त संज्ञान, डीजी जेल से रिपोर्ट तलब
चांडीगढ़। हरियाणा मानव अधिकार आयोग ने 29.09.2025 को प्रकाशित एक समाचार रिपोर्ट का संज्ञान स्वप्रेरणा से लिया है, जिसमें अंबाला केंद्रीय कारागार में सुरक्षा व्यवस्था में गंभीर चूक को उजागर किया गया है। आरोप है कि एक विचाराधीन कैदी अजय कुमार, निवासी बिहार, जिस पर पंचकूला पुलिस द्वारा मार्च 2024 में दर्ज POCSO मामले में अभियोग लगाया गया था, 28 सितम्बर 2025 को अंबाला केंद्रीय कारागार से फरार हो गया। यह भागना 18 फुट ऊँचे बिजली के खंभे पर चढ़कर और ऊपर से गुजर रही विद्युत तारों का उपयोग कर किया गया, जिसमें जेल परिसर के अंदर बिजली गुल होने ने मदद की। यह घटना पिछले दो महीनों में दूसरी बार हुई है। इससे पहले अगस्त 2025 में उत्तर प्रदेश निवासी विचाराधीन कैदी सुखबीर भी फरार हुआ था। इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि कैदियों की सुरक्षा और निगरानी बनाए रखने में बार-बार गंभीर असफलता हो रही है।
आधिकारिक रिपोर्टों के अनुसार, अजय कुमार को जेल कारखाने में कार्य हेतु नियुक्त किया गया था और नियमित दोपहर की गिनती के दौरान वह गायब पाया गया। सीसीटीवी फुटेज से पुष्टि हुई है कि उक्त कैदी ने कारखाने के पास की दीवार पर चढ़कर बिजली के खंभे और तारों की मदद से भागने की कोशिश की। अंबाला जेल अधीक्षक सतविंदर गोदारा ने घटना की पुष्टि की और बताया कि दो जेल कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है तथा अन्य के विरुद्ध कर्तव्य में लापरवाही को लेकर चार्जशीट की सिफारिश की गई है। पुलिस की कई टीमें, जिनमें सीआईए और बलदेव नगर पुलिस शामिल हैं, खोज अभियान चला रही हैं, लेकिन अब तक न तो अजय कुमार और न ही अगस्त 2025 में भागा हुआ सुखबीर पकड़ा गया है।
हरियाणा मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस ललित बत्रा तथा दोनों सदस्यों कुलदीप जैन और दीप भाटिया को मिलाकर बने पूर्ण आयोग का मानना है कि यह जेल सुरक्षा प्रोटोकॉल की गंभीर विफलता को दर्शाता है। उपरोक्त घटनाएँ जेल नियमावली का स्पष्ट उल्लंघन हैं, जो कैदियों की निगरानी, सुरक्षा और प्रबंधन से संबंधित है। इन नियमों के अनुसार, जेल प्रशासन का दायित्व है कि सभी कैदियों की सुरक्षित अभिरक्षा सुनिश्चित की जाए, भागने की घटनाओं को रोका जाए और संरचनात्मक एवं प्रक्रियागत सुरक्षा उपाय लागू किए जाएँ। लगातार हो रहे जेलब्रेक इस बात का संकेत हैं कि उच्च जोखिम वाले कैदियों की निगरानी, सुरक्षा व्यवस्था, विद्युत सुरक्षा और गिनती एवं सीसीटीवी निगरानी जैसे मानक संचालन प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया जा रहा है।
जस्टिस ललित बत्रा की अध्यक्षता वाले पूर्ण आयोग ने अपने आदेश में लिखा है कि इन लगातार हो रही सुरक्षा चूकों और अपर्याप्त पर्यवेक्षण के कारण न केवल विचाराधीन कैदियों के मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है बल्कि आमजन की सुरक्षा भी खतरे में पड़ रही है। संविधान के अनुच्छेद 21 में निहित जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार इस प्रकार के लापरवाह प्रबंधन से प्रभावित हो रहा है। सुरक्षित अभिरक्षा सुनिश्चित करने में विफलता समाज की सुरक्षा के लिए खतरा है और यह कैदियों को अतिरिक्त-न्यायिक घटनाओं के जोखिम में भी डालती है, जिससे विधि के शासन और मानवाधिकार मानकों का हनन होता है।
अंबाला केंद्रीय कारागार में हुई यह घटनाएँ जेल अधिकारियों के वैधानिक दायित्वों की गंभीर उपेक्षा को दर्शाती हैं। ऐसी लापरवाही से न केवल विचाराधीन कैदियों का जीवन और अधिकार संकट में आते हैं बल्कि सार्वजनिक सुरक्षा और सामाजिक व्यवस्था पर भी गंभीर खतरा उत्पन्न होता है। जबकि जेल परिसर के हर कोने में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं, जेल अधिकारियों द्वारा फुटेज की निगरानी न करना उनके कर्तव्य की उपेक्षा को स्पष्ट करता है। स्वयं जेल अधिकारी ने समाचार रिपोर्ट में स्वीकार किया है कि सीसीटीवी फुटेज से कैदी के भागने की विधि की पुष्टि हुई है। यह घटनाएँ पर्यवेक्षण, सुरक्षा और जवाबदेही की विफलता का प्रमाण हैं, जिससे कारागार प्रणाली पर जनता का विश्वास डगमगा रहा है।
उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते और अंबाला केंद्रीय कारागार में हो रही बार-बार की सुरक्षा विफलताओं पर हरियाणा मानव अधिकार आयोग गंभीर चिंता व्यक्त करता है और हरियाणा के महानिदेशक कारागार को निर्देश देता है कि वे तत्काल सख्त कार्रवाई करें, जिसमें:
हाल ही में हुए जेलब्रेक की प्रणालीगत चूकों की गहन जांच की जाए।
सुरक्षा ढाँचे को मजबूत किया जाए, जिसमें निगरानी, परिधि जांच, विद्युत सुरक्षा उपाय और नियमित कैदियों की गिनती शामिल हो।
जिन जेल अधिकारियों/कर्मचारियों ने अपनी जिम्मेदारी में विफलता दिखाई है, उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।
जेल नियमावली और मानवाधिकार सुरक्षा उपायों के अनुपालन का नियमित रूप से ऑडिट किया जाए तथा प्रगति रिपोर्ट आयोग को समयबद्ध रूप से भेजी जाए।
हरियाणा की सभी जेलों में सीसीटीवी फुटेज की वास्तविक समय में निगरानी सुनिश्चित की जाए और इसे अक्षरशः लागू किया जाए।
आयोग के प्रोटोकॉल, सूचना व जनसम्पर्क अधिकारी डॉ. पुनीत अरोड़ा ने बताया कि उपलब्ध तथ्यों और गंभीर आरोपों को देखते हुए, हरियाणा मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस ललित बत्रा के साथ दोनों सदस्य कुलदीप जैन और दीप भाटिया को अपेक्षा है कि हरियाणा राज्य और कारागार प्रशासन, महानिदेशक कारागार के पर्यवेक्षण में, पुनरावृत्ति को रोकने और सभी विचाराधीन कैदियों की सुरक्षित अभिरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाएँगे तथा वैधानिक प्रावधानों और मानवाधिकार मानकों का पालन करेंगे। हरियाणा मानव अधिकार आयोग ने उपरोक्त तथ्यों पर महानिदेशक कारागार, पंचकूला, हरियाणा से अगली सुनवाई की तिथि 20.11.2025 से पहले विस्तृत रिपोर्ट भी मांगी है|
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