हरियाणा विधानसभा से पारित संशोधित अधिनियम से छोटे व्यापारियों और श्रमिकों को मिलेगा बड़ा लाभ

 हरियाणा विधानसभा से पारित संशोधित अधिनियम से छोटे व्यापारियों और श्रमिकों को मिलेगा बड़ा लाभ



चंडीगढ़। हरियाणा विधानसभा ने हरियाणा दुकानें एवं वाणिज्यिक प्रतिष्ठान (संशोधन) अधिनियम, 2025 को पारित कर राज्य में व्यापार और रोजगार के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण सुधार की दिशा में कदम बढ़ाया है। हरियाणा सरकार का कहना है कि यह संशोधन छोटे व्यापारियों पर अनुपालन का बोझ कम करने, रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करने और साथ-साथ श्रमिकों के अधिकारों एवं सुरक्षा को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लाया गया है।


इस अधिनियम से पंजीकरण व अधिनियम के अन्य प्रावधानों के लिए कर्मचारियों की सीमा को शून्य से बढ़ाकर 20 या उससे अधिक कर दिया है। अब 20 से कम कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों को अधिनियम के तहत पंजीकरण प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं होगी, बल्कि उन्हें केवल अपने व्यवसाय की सूचना देनी होगी।


इसके अलावा , अब  दैनिक कार्य घंटों को नौ घंटों से बढ़ाकर दस घंटे कर दिया है जिसमें विश्राम अंतराल भी शामिल हैं, बशर्ते कि किसी भी सप्ताह में कार्य के घंटे अधिकतम अड़तालीस हों। इसका उद्देश्य अधिक आर्थिक गतिविधि सृजित करना, रोजगार के अवसरों को बढ़ाना और प्रतिष्ठानों को आपात स्थितियों या कर्मचारियों की कमी को बिना किसी रूकावट के संभालने के लिए लचीलापन प्रदान करना है।


संशोधित अधिनियम के अनुसार तिमाही के भीतर ओवरटाइम की अवधि 50 घंटे से बढ़ाकर 156 घंटे कर दी गई है ताकि प्रतिष्ठानों को असाधारण कार्यभार से निपटने के लिए प्रति तिमाही अधिक समय तक श्रमिकों से ओवरटाइम करवाने की अनुमति मिल सके। इस बदलाव से श्रमिकों की कमाई की क्षमता बढ़ेगी और ओवरटाइम प्रथाओं को औपचारिक रूप दिया जाएगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि सभी अतिरिक्त घंटों का उचित रिकॉर्ड रखा जाए और उनका भुगतान किया जाए। जिससे श्रमिकों के शोषण को रोका जा सकेगा। हालांकि, श्रमिकों के लिए ओवरटाइम करना अनिवार्य नहीं होगा।


इस अधिनियम के अनुसार अब नियुक्ति पत्र और पहचान पत्र को अनिवार्य कर दिया गया है जिससे रोजगार में औपचारिकता को बढ़ावा मिलेगा। इस बदलाव से सत्यापित रोजगार रिकॉर्ड, कौशल मानचित्रण, बेहतर कल्याणकारी योजनाओं का वितरण, बढ़ी हुई पारदर्शिता, उच्च प्रतिधारण दर और जीवनयापन में सुगमता आएगी।


एक अहम बदलाव करते हुए अधिनियम के उल्लंघन के लिए कारावास की सजा को अपराध की श्रेणी से हटाकर केवल जुर्माना पच्चीस हजार रुपये तक का कर दिया गया है, ताकि अधिनियम का प्रवर्तन कमजोर न हो। इससे श्रमिकों और प्रतिष्ठानों के अधिकारों के बीच सामंजस्यपूर्ण संतुलन बना रहेगा।  


 हरियाणा सरकार ने कहा है कि यह संशोधन ईज ऑफ डूइंग बिजनेस, आत्मनिर्भर भारत और रोजगार-हितैषी नीतियों की दिशा में एक ठोस कदम है। सरकार को विश्वास है कि इस अधिनियम से राज्य में निवेश का माहौल और बेहतर होगा, छोटे उद्यम मजबूत होंगे और श्रमिकों को सुरक्षित, सम्मानजनक तथा अधिक अवसरों से युक्त कार्य वातावरण मिलेगा।

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